भारत में संत मनीषियों की एक सुदीर्घ परम्परा रही है। उन्होंने अपने
व्यक्तित्व एवं कृतित्व से समय-समय पर देश का सचेत मार्गदर्शन किया है।
बीसवीं सदी में उसी मणिमाला के एक योतिर्मय संत हुए हैं आचार्य तुलसी।
तेरापंथ धर्मसंघ के नवम् अधिशास्ता एवं असांप्रदायिक नैतिक आंदोलन
‘अणुव्रत’ के प्रवर्तक आचार्य तुलसी ने अपने जीवनकाल के 50 वर्ष देशभर में
पद यात्रा कर संस्कार निर्माण, लोकतंत्र की सुदृढ़ता, रुढ़िमुक्त समाज के
निर्माण, अस्पृश्यता निवारण, पर्दा प्रथा निवारण, नारी जागरण आदि के रुप
में मानवीय मूल्यों के संवर्ध्दन का शाघनीय कार्य किया। भारत भूमि में इस
महामानव का महाप्रयाण 23 जून 1997 को गंगाशहर (बीकानेर) में हुआ। उनकी
स्मृति में आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान (नैतिकता का शक्ति पीठ) की
स्थापना हुई। प्रतिष्ठान द्वारा संचालित महत्वपूर्ण प्रकल्पों में
प्रतिष्ठान ने अनुदानदाताओं के सहयोग से पीबीएम अस्पताल बीकानेर के अंतर्गत
कैंसर रोगियों के नवीनतम तकनीकी मशीनों से उपचार हेतू आचार्य तुलसी
क्षेत्रीय कैंसर चिकित्सा एवं अनुसंधान केन्द्र का निर्माण करवाया गया जो
आज भारत के विख्यात उपचार केन्द्रों में मान्य किया जा रहा है।
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